महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार का मानविकी एवं भाषा सङ्काय साहित्य एवं दर्शन के माध्यम से विद्यार्थियों में मानवीय संवेदनाओं को विस्तारित करने, साहित्यिक सृजनशीलता को विकसित करने तथा भारतीय ज्ञानपरम्परा के प्रति जागरूकता लाने हेतु कृतसङ्कल्प है। विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही सन् 2016 में स्थापित यह सङ्काय हिन्दी, अंग्रेजी एवं संस्कृत विभाग के माध्यम से परास्नातक एवं पी-एच्.डी. जैसे विविध शैक्षणिक कार्यक्रम सञ्चालित कर रहा है। वर्तमान में सङ्काय के अधिष्ठाता प्रो. प्रसून दत्त सिंह के नेतृत्व में विविध साहित्यिक विधाओं में निष्णात सङ्काय के सभी 18 विद्वान् शिक्षक अध्ययन-अध्यापन और शोधकार्यं में संलग्न हैं तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हुए महाकवि कालिदास द्वारा लक्षित शिक्षकत्व धर्म का निष्ठापूर्वक निर्वहण कर रहे हैं-
श्लिष्टा क्रिया कस्यचिदात्मसंस्था संक्रान्तिरन्यस्य विशेषयुक्ता।
यस्योभयं साधु स शिक्षकाणां धुरि प्रतिष्ठापयितव्य एव॥
मानविकी एवं भाषा सङ्काय प्राच्य एवम् अर्वाच्य विद्या के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के साथ-साथ समसामयिक सन्दर्भों में अन्तर्विषयी अध्ययन को बढ़ावा देते हुए; इस दिशा में विद्यार्थियों एवं समाज की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सतत प्रयत्नशील है। वर्तमान में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रसून दत्त सिंह, हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद मीणा एवम् अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बिमलेश कुमार सिंह हैं। अन्तर्विषयक तथा बहुविषयक अध्ययन एवम् अनुसन्धान की गतिविधियों को अधिक से अधिक परिणामोन्मुखी बनाने हेतु सङ्काय के अन्तर्गत 1. भारत विद्या केन्द्र 2. लोक कला संस्कृति एवं निष्पादन केन्द्र 3. महर्षि पतञ्जलि योग एवम् आयुर्वेद अध्ययन केन्द्र जैसे विविध केन्द्र भी कार्य कर रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन हेतु सङ्काय पूर्ण रूप से सचेत एवं प्रतिबद्ध है तथा इस दिशा में भावी योजनाओं के साथ समुचित गतार्थ है। सङ्काय के अन्तर्गत तीनों विभागों द्वारा Open Elective पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिनमें पर्याप्त संख्या में विश्वविद्यालय के अन्यान्य सङ्कायों एवं विभागों के विद्यार्थी अपना ज्ञानवर्धन कर रहे हैं।
शोध-प्रकाशन एवं लब्धप्रतिष्ठ पुरस्कारों के द्वारा इस सङ्काय ने अल्प समय में ही अकादमिक जगत् में एक विशिष्ट ख्याति प्राप्त की है। राष्ट्रीय एवम् अन्तर्राष्ट्रीय शोधसङ्गोष्ठियों तथा सम्मेलनों के आयोजन द्वारा सङ्काय ने विश्वभर के मानविकी एवं भाषाविशेषज्ञ विद्वानों को जोड़कर शोध की दिशा में नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। सङ्काय के द्वारा विश्वविद्यालय के अध्यापकों, कर्मचारियों एवं छात्रों की साहित्यिक रचनाधर्मिता के संवर्धन हेतु ‘ज्ञानाग्रह’ नामक विश्वविद्यालय की वार्षिक पत्रिका का नियमित प्रकाशन भी किया जा रहा है।